
Какие награды ждут мусульманина за участие в похоронах
10 хадисов о достоинствах участия в джаназа (похоронах)
«Присутствие на похоронах — лучшее из добровольных (нафль) действий». («Фатхуль Бари», хадис №1323)
Омовение и заворачивание покойного в саван
Сопровождение похоронной процессии (джаназа)
«Тот, кто присутствует на похоронной процессии и совершает джаназа-намаз, получит награду, равную одному «кирату», а тот, кто сопровождает её до погребения, получит награду, равную двум «киратам». Его спросили: «Что такое два кирата?». Он ответил: «Как две огромные горы».
«Сахих» Бухари, хадис №1325, и «Сахих» Муслима, хадис №945
Перенесение носилок с четырёх сторон
3. Абдуллах ибн Мас'уд (да будет доволен им Аллах) сказал:
«Тот, кто следует за джаназа, должен обязательно нести носилки со всех сторон, ибо, поистине, это из Сунны. [После того, как он понесёнт все со всех четырёх сторон], он может продолжать нести носилки или оставить это».
«Китабуль Аcар» имама Мухаммада ибн Хасана аш-Шайбаний, т. 1, стр. 273, хадис №236;
«Сунан» Ибн Маджа, хадис №1478; «Мусаннаф» Абдурраззака, хадис №6517
и «Мусаннаф» Ибн Аби Шейбы — с достоверной цепочкой —, хадис №11397
«Чтобы получить полную награду за посещение джаназа, нужно выйти вместе с похоронной процессией из дома [покойного], нести носилки со всех четырёх сторон и зачерпнуть песок [землю] в могилу».
«Мусаннаф» Ибн Аби Шейбы, хадис №11399
Погребение
4. Пророк ﷺ сказал:
«...Кто выкопает могилу для умершего и похоронит его, получит награду в виде предоставления ему места для обитания до Дня Суда».
«Мустадрак» Хакима, т. 1, стр. 354 и 362
Говорить о покойном хорошие вещи
Пророк ﷺ в нескольких хадисах предостерегал умму от того, чтобы говорить о покойном плохо. О наших усопших братьях-мусульманах лучше говорить хорошо.
«Не проклинайте мертвых».
«Сахих» Бухари, хадис №1393
«Когда вы присутствуете на похоронах (или посещаете больного), то говорите хорошее [о покойном/больном], ибо ангелы говорят «амин» на ваше дуа».
«Сахих» Муслима, хадис №2126
«Я приехал в Медину во время эпидемии. Я сидел с Умаром ибн Хаттабом (да будет доволен им Аллах), когда мимо проходила похоронная процессия, и умершего человека похвалили. Умар (да будет доволен им Аллах) сказал: «Это стало необходимым/неизбежным». Затем прошла ещё одна процессия, и его [покойного] похвалили. Умар (да будет доволен им Аллах) сказал: «Это неизбежно». Затем прошла третья процессия, и они заговорили о нём. Умар сказал: «Это неизбежно»».
Абу аль-Асвад (да смилуется над ним Аллах) сказал:
Извлеките урок
8. Аль-Бара ибн 'Азиб (да смилуется над ним Аллах) говорит:
«Однажды мы присутствовали на похоронах вместе с Посланником Аллаха ﷺ, когда он сел на край могилы и заплакал так сильно, что песок стал мокрым. Тогда Пророк ﷺ сказал: «О мои братья, готовьтесь к этому! [совершая благие деяния]».
«Сунан» Ибн Маджа, хадис №4195
Алляма Мунзири (да смилуется над ним Аллах) признал цепочку достоверной (хасан). («Таргыб», т. 4, стр. 240; «Заваид» Ибн Маджа, хадис №1419. Также см: Примечания Шейха Мухаммада 'Аввамы на «Мусаннаф», хадис №35472
Утешение семьи погибшего
9. Пророк ﷺ сказал:
«Любой верующий, который утешит своего брата во время беды, в Судный День будет вознагражден Всевышним Аллахом благородными одеждами».
«Сунан» Ибн Маджа, хадис №1601. См. «Заваид» Ибн Маджа, хадис №545
Четыре деяния для Рая
10. Абу Хурейра (да будет доволен им Аллах) сообщает, что Посланник Аллаха ﷺ однажды сказал:
«Кто из вас сегодня постится?». Абу Бакр (да будет доволен им Аллах) ответил: «Я».
Он спросил: «Кто из вас сегодня сопровождал джаназа?» Абу Бакр (да будет доволен им Аллах) ответил: «Я».
Он спросил: «Кто из вас сегодня накормил нуждающегося?» Абу Бакр (да будет доволен им Аллах) сказал: «Я».
Он спросил: «Кто из вас сегодня навестил больного?» Абу Бакр ответил: «Я».
После этого Посланник Аллаха ﷺ сказал: «Тот, кто совершит все эти [добрые дела], обязательно войдет в Рай»».
«Сахих» Муслима, хадис №1028
Прощение за присутствие на похоронах
Иногда человеку даруется прощение после смерти только за то, что он присутствовал на похоронах и бросил песок в могилу своего брата-мусульманина.
Алляма Куртуби (да смилуется над ним Аллах) упоминает, что Алляма Кушайри (да смилуется над ним Аллах) приводил слова того, кто видел это во сне об одном из своих единоверцев. («Ат-Тазкира», стр. 286. См. также «Таргыб», т. 4, стр. 338)
Хотя сны сами по себе не являются достаточным доказательством в Шариате, учёные обычно цитируют их время от времени в целях воодушевления.
29/04/2019
التخريج من المصادر العربية
فتح الباري لابن حجر (١٣٢٣): «وروى سعيد بن منصور من طريق مجاهد قال: إتباع الجنازة أفضل النوافل».
المستدرك للحاكم (١/ ٣٥٤): أخبرنا بكر بن محمد الصيرفي، بمرو، حدثنا عبد الصمد بن الفضل، حدثنا عبد الله بن يزيد المقرئ، حدثنا سعيد بن أبي أيوب، عن شرحبيل بن شريك المعافري، عن علي بن رباح اللخمي، عن أبي رافع، قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من غسل ميتا فكتم عليه غفر له أربعين مرة، ومن كفن ميتا كساه الله من السندس، وإستبرق الجنة، ومن حفر لميت قبرا فأجنه فيه أجري له من الأجر كأجر مسكن أسكنه إلى يوم القيامة.
هذا حديث صحيح على شرط مسلم، ولم يخرجاه.
المستدرك للحاكم (١/ ٣٦٢): أخبرنا أبو محمد عبد الله محمد بن إسحاق الخزاعي بمكة، حدثنا عبد الله بن أحمد بن أبي مسرة، حدثنا عبد الله بن يزيد المقرئ، حدثنا سعيد بن أبي أيوب، عن شرحبيل بن شريك المعافري، عن علي بن رباح اللخمي، عن أبي رافع، قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من غسل ميتا فكتم عليه غفر له أربعين مرة، ومن كفن ميتا كساه الله من سندس وإستبرق الجنة، ومن حفر لميت قبرا وأجنه فيه أجري له من الأجر كأجر مسكن إلى يوم القيامة.
هذا حديث صحيح على شرط مسلم، ولم يخرجاه.
المعجم الكبير للطبراني (٩٢٩): حدثنا هارون بن ملول البصري، ثنا عبد الله بن يزيد المقرئ، ثنا سعيد بن أبي أيوب، عن شرحبيل بن شريك، عن علي بن رباح، قال: سمعت أبا رافع، يقول: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: «من غسل ميتا فكتم عليه غفر له أربعين كبيرة، ومن حفر لأخيه قبرا حتى يجنه فكأنما أسكنه مسكنا مرة حتى يبعث».
الترغيب والترهيب للمنذري (٤/ ٣٣٨): عن أبي رافع رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من غسل ميتا فكتم عليه غفر الله له أربعين كبيرة، ومن حفر لأخيه قبرا حتى يجنبه فكأنما أسكنه مسكنا حتى يبعث. رواه الطبراني في الكبير، ورواته محتج بهم في الصحيح، والحاكم وقال: صحيح على شرط مسلم.
الدراية في تخريج أحاديث الهداية (١/ ٤٣١، رقم الحديث: ٣٩١): أخرجه الحاكم وعن رافع رفعه: «من غسل ميتا فكتم عليه غفر له أربعون كبيرة»، الحديث إسناده قوي.
مجمع الزوائد ومنبع الفوائد (٣/ ٢١): وعن أبي رافع قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: «من غسل ميتا فكتم عليه غفر الله له أربعين كبيرة، ومن حفر لأخيه قبرا حتى يجنه فكأنما أسكنه مسكنا حتى يبعث».
رواه الطبراني في الكبير، ورجاله رجال الصحيح.
صحيح البخاري (١٣٢٥): حدثنا عبد الله بن مسلمة، قال: قرأت على ابن أبي ذئب، عن سعيد بن أبي سعيد المقبري، عن أبيه، أنه سأل أبا هريرة رضي الله عنه، فقال: سمعت النبي صلى الله عليه وسلم، ح حدثنا أحمد بن شبيب بن سعيد، قال: حدثني أبي، حدثنا يونس، قال ابن شهاب: وحدثني عبد الرحمن الأعرج، أن أبا هريرة رضي الله عنه، قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: «من شهد الجنازة حتى يصلي، فله قيراط، ومن شهد حتى تدفن كان له قيراطان»، قيل: وما القيراطان؟ قال: «مثل الجبلين العظيمين».
صحيح مسلم (٩٤٥): وحدثني أبو الطاهر، وحرملة بن يحيى، وهارون بن سعيد الأيلي، واللفظ لهارون، وحرملة، قال هارون: حدثنا، وقال الآخران: أخبرنا ابن وهب – أخبرني يونس، عن ابن شهاب، قال: حدثني عبد الرحمن بن هرمز الأعرج، أن أبا هريرة، قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: «من شهد الجنازة حتى يصلى عليها فله قيراط، ومن شهدها حتى تدفن فله قيراطان»، قيل: وما القيراطان؟ قال: «مثل الجبلين العظيمين» انتهى حديث أبي الطاهر، وزاد الآخران، قال ابن شهاب: قال سالم بن عبد الله بن عمر: وكان ابن عمر، يصلي عليها ثم ينصرف، فلما بلغه حديث أبي هريرة، قال: «لقد ضيعنا قراريط كثيرة».
الآثار لمحمد بن الحسن الشيباني (١/ ٢٧٣، رقم الحديث: ٢٣٦): محمد، عن أبي حنيفة، قال: حدثنا منصور بن المعتمر، عن سالم بن أبي الجعد، عن عبيد بن نسطاس، عن عبد الله بن مسعود رضي الله عنه، قال: «إن من السنة حمل الجنازة بجوانب السرير الأربعة، فما زدت على ذلك، فهو نافلة»
سنن ابن ماجه (١٤٧٨): حدثنا حميد بن مسعدة، حدثنا حماد بن زيد، عن منصور، عن عبيد بن نسطاس، عن أبي عبيدة قال:
قال عبد الله بن مسعود: من اتبع جنازة فليحمل بجوانب السرير كلها، فإنه من السنة، ثم إن شاء فليتطوع، وإن شاء فليدع.
مصنف عبد الرزاق الصنعاني (٦٥١٧): عن الثوري، ومعمر، عن منصور، عن عبيد بن نسطاس، عن أبي عبيدة، عن ابن مسعود قال: «إذا اتبع أحدكم الجنازة، فليأخذ بجوانبها كلها، فإنه من السنة، ثم ليتطوع بعد أو يترك».
مصنف ابن أبي شيبة (١١٣٩٧): حدثنا جرير بن عبد الحميد، عن منصور، عن عبيد بن نسطاس، قال: كنا مع أبي عبيدة بن عبد الله في جنازة، فقال: قال عبد الله: إذا كان أحدكم في جنازة فليحمل بجوانب السرير كله، فإنه من السنة، ثم ليتطوع، أو ليدع.
مصنف ابن أبي شيبة (١١٣٩٩): حدثنا يحيى بن سعيد ، عن ثور ، عن عامر بن جشيب وغيره من أهل الشام قالوا: قال أبو الدرداء: من تمام أجر الجنازة أن يشيعها من أهلها وأن يحمل بأركانها الأربع وأن يحثو في القبر.
المستدرك للحاكم (١/ ٣٥٤): أخبرنا بكر بن محمد الصيرفي، بمرو، حدثنا عبد الصمد بن الفضل، حدثنا عبد الله بن يزيد المقرئ، حدثنا سعيد بن أبي أيوب، عن شرحبيل بن شريك المعافري، عن علي بن رباح اللخمي، عن أبي رافع، قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من غسل ميتا فكتم عليه غفر له أربعين مرة، ومن كفن ميتا كساه الله من السندس، وإستبرق الجنة، ومن حفر لميت قبرا فأجنه فيه أجري له من الأجر كأجر مسكن أسكنه إلى يوم القيامة.
هذا حديث صحيح على شرط مسلم، ولم يخرجاه.
المستدرك للحاكم (١/ ٣٦٢): أخبرنا أبو محمد عبد الله محمد بن إسحاق الخزاعي بمكة، حدثنا عبد الله بن أحمد بن أبي مسرة، حدثنا عبد الله بن يزيد المقرئ، حدثنا سعيد بن أبي أيوب، عن شرحبيل بن شريك المعافري، عن علي بن رباح اللخمي، عن أبي رافع، قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من غسل ميتا فكتم عليه غفر له أربعين مرة، ومن كفن ميتا كساه الله من سندس وإستبرق الجنة، ومن حفر لميت قبرا وأجنه فيه أجري له من الأجر كأجر مسكن إلى يوم القيامة.
هذا حديث صحيح على شرط مسلم، ولم يخرجاه.
صحيح البخاري (١٣٩٣): حدثنا آدم، حدثنا شعبة، عن الأعمش، عن مجاهد، عن عائشة رضي الله عنها، قالت: قال النبي صلى الله عليه وسلم: «لا تسبوا الأموات، فإنهم قد أفضوا إلى ما قدموا».
صحيح مسلم (٢١٢٦): حدثنا أبو بكر بن أبي شيبة، وأبو كريب، قالا: حدثنا أبو معاوية، عن الأعمش، عن شقيق، عن أم سلمة، قالت: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: «إذا حضرتم المريض، أو الميت، فقولوا خيرا، فإن الملائكة يؤمنون على ما تقولون»، قالت: فلما مات أبو سلمة أتيت النبي صلى الله عليه وسلم، فقلت: يا رسول الله إن أبا سلمة قد مات، قال: «قولي: اللهم اغفر لي وله، وأعقبني منه عقبى حسنة»، قالت: فقلت، فأعقبني الله من هو خير لي منه محمدا صلى الله عليه وسلم.
صحيح البخاري (١٣٦٨): حدثنا عفان بن مسلم هو الصفار، حدثنا داود بن أبي الفرات، عن عبد الله بن بريدة، عن أبي الأسود، قال: قدمت المدينة وقد وقع بها مرض، فجلست إلى عمر بن الخطاب رضي الله عنه، فمرت بهم جنازة، فأثني على صاحبها خيرا، فقال عمر رضي الله عنه: وجبت، ثم مر بأخرى فأثني على صاحبها خيرا، فقال عمر رضي الله عنه: وجبت، ثم مر بالثالثة فأثني على صاحبها شرا، فقال: وجبت، فقال أبو الأسود: فقلت: وما وجبت يا أمير المؤمنين؟ قال: قلت كما قال النبي صلى الله عليه وسلم: «أيما مسلم، شهد له أربعة بخير، أدخله الله الجنة» فقلنا: وثلاثة، قال: «وثلاثة» فقلنا: واثنان، قال: «واثنان» ثم لم نسأله عن الواحد.
صحيح البخاري (٢٦٤٣): حدثنا موسى بن إسماعيل، حدثنا داود بن أبي الفرات، حدثنا عبد الله بن بريدة، عن أبي الأسود، قال: أتيت المدينة وقد وقع بها مرض وهم يموتون موتا ذريعا، فجلست إلى عمر رضي الله عنه، فمرت جنازة، فأثني خيرا، فقال عمر: وجبت، ثم مر بأخرى، فأثني خيرا، فقال: وجبت، ثم مر بالثالثة، فأثني شرا، فقال: وجبت، فقلت: وما وجبت يا أمير المؤمنين؟ قال: قلت كما قال النبي صلى الله عليه وسلم: «أيما مسلم شهد له أربعة بخير أدخله الله الجنة»، قلنا: وثلاثة، قال: «وثلاثة»، قلت: واثنان، قال: «واثنان»، ثم لم نسأله عن الواحد.
سنن ابن ماجه (٤١٩٥): حدثنا القاسم بن زكريا بن دينار، حدثنا إسحاق بن منصور، حدثنا أبو رجاء الخراساني، عن محمد بن مالك.
عن البراء، قال: كنا مع رسول الله – صلى الله عليه وسلم – في جنازة، فجلس على شفير القبر، فبكى حتى بل الثرى، ثم قال: «يا إخواني، لمثل هذا فأعدوا».
الترغيب والترهيب للمنذري (٤/ ٢٤٠): وعن البراء رضي الله عنه قال: كنا مع رسول الله صلى الله عليه وسلم في جنازة، فجلس على شفير القبر، فبكى حتى بل الثرى، ثم قال: يا إخواني لمثل هذا فأعدوا. رواه ابن ماجة بإسناد حسن.
مصباح الزجاجة في زوائد ابن ماجه (١٤١٩): هذا إسناد ضعيف فيه مقال محمد بن مالك قال فيه أبو حاتم لا بأس به وذكره ابن حبان في الثقات وقال لم يسمع من البراء بن عازب وذكره ابن حبان في الثقات وقال لم يسمع من البراء بن عازب شيئا وذكره أيضا في الضعفاء وقال كان يخطىء كثيرا لا يجوز الاحتجاج بخبره إذا انفرد.
قلت: روى الإمام أحمد في مسنده وأبو يعلى الموصلي أيضا من طريق محمد بن مالك قال رأيت على البراء خاتما من ذهب فقيل له لم تلبسه وقد نهي عنه فقال بينا نحن عند رسول الله صلى الله عليه وسلم فذكره قصة فهذا ينفي قول ابن حبان أنه لم يسمع من البراء إلا أن يكون عنده غير صادق ورواه البيهقي في سننه من طريق إسحاق بن منصور ورواه أبو بكر بن أبي شيبة في مسنده عن إسحاق بن منصور فذكره بإسناده ومتنه وفيه زيادة في أثنائه ورواه أبو يعلى الموصلي في مسنده من طريق عبد الله بن واقد الهروي ثنا محمد بن مالك فذكره بزيادة كما أوردته في زوائد المسانيد العشرة.
حاشية الشيخ محمد عوامة على مصنف ابن أبي شيبة (٣٥٤٧٢): في إسناده محمد بن مالك، وهو أبو المغيرة الجوزجاني، وقد تناقض فيه قول ابن حبان ذكره في «الثقات»، وذكره في «المجروحين» ٢: ٢٥٩، وكلام ابن حجر في آخر ترجمته من «التهذيب» ٩: ٤٢٣ يؤكد وجود ترجمته في «الثقات» لابن حبان، مما يحكم على سقوطها من النسخة المطبوعة، والله أعلم، وحينئذ ينظر في كلام غيره من علماء الجرح والتعديل، وقد قال في «الجرح والتعديل» ٨ (٣٧٨): لا بأس به، فحديثه حسن، وأما سماعه من البراء: فإنه قد سمع منه، وقد جزم البخاري في ترجمتة محمد بن مالك في «تاريخه» ١ (٧١٧) بأنه كان خادم البراء.
والحديث رواه البيهقي في «سننه» ٣: ٣٦٩ من طريق المصنف، به.
ورواه ابن ماجه (٤١٩٥) بمثل إسناد المصنف.
ورواه أحمد ٤: ٢٩٤، والبخاري في «التاريخ الكبير» ١ (٧١٧)، والطبراني في الأوسط (٢٦٠٩)، كلهم من طريق أبي رجاء، به.
وقد أخذ الذهبي في «الكاشف» (٥١٣١) بشيء من كلام ابن حبان في محمد بن مالك فقال: فيه لين، ونحوه في «المهذب» تلخيصه لسنن البيهقي (٥٧٨٧) فقال: سنده لين.
سنن ابن ماجه (١٦٠١): حدثنا أبو بكر بن أبي شيبة، حدثنا خالد بن مخلد، حدثني قيس أبو عمارة مولى الأنصار، قال: سمعت عبد الله بن أبي بكر بن محمد ابن عمرو بن حزم يحدث عن أبيه عن جده، عن النبي صلى الله عليه وسلم، أنه قال: «ما من مؤمن يعزي أخاه بمصيبة، إلا كساه الله سبحانه من حلل الكرامة يوم القيامة».
مصباح الزجاجة في زوائد ابن ماجه (٥٤٥): هذا إسناد فيه مقال قيس أبو عمارة ذكره ابن حبان في الثقات وقال الذهبي في الكاشف ثقة وقال البخاري فيه نظر
قلت وباقي رجال الإسناد على شرط مسلم رواه ابن أبي شيبة في مسنده هكذا ورواه البيهقي في سننه الكبرى من طريق إسماعيل بن أبي أويس عن قيس أبي عمارة ورواه عبد بن حميد حدثنا خالد بن مخلد فذكره بالإسناد والمتن وله شاهد من حديث ابن مسعود رواه الترمذي وابن ماجة وروى الترمذي نحوه من حديث أبي برزة.
صحيح مسلم (١٠٢٨): حدثنا ابن أبي عمر، حدثنا مروان يعني الفزاري، عن يزيد وهو ابن كيسان، عن أبي حازم الأشجعي، عن أبي هريرة، قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: «من أصبح منكم اليوم صائما؟» قال أبو بكر رضي الله عنه: أنا، قال: «فمن تبع منكم اليوم جنازة؟» قال أبو بكر رضي الله عنه: أنا، قال: «فمن أطعم منكم اليوم مسكينا؟» قال أبو بكر رضي الله عنه: أنا، قال: «فمن عاد منكم اليوم مريضا؟» قال أبو بكر رضي الله عنه: أنا، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم: «ما اجتمعن في امرئ، إلا دخل الجنة».
التذكرة بأحوال الموتى وأمور الآخرة (ص: ٢٨٦): وذكر القشيري في التحبير له: يحكى عن بعضهم أنه قال: رأيت بعضهم في المنام فقلت ما فعل الله بك؟ فقال: وزنت حسناتي فرجحت السيئات على الحسنات، فجاءت صرة من السماء وسقطت في كفة الحسنات فرجحت فحللت الصرة، فإذا فيها كف تراب ألقيته في قبر مسلم.
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